मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण में हुए कम मतदान ने भाजपा और कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है। दोनों ही दल के नेता कम मतदान से लाभ एवं हानि का आकलन करने में जुटे हैं। महापौर प्रत्याशी अपने स्तर पर वार्डवार आकलन कर रहे हैं तो पार्टी नेता भी प्रभारियों के माध्यम से जानकारी जुटा रहे हैं। कांग्रेस कम मतदान का कारण सत्ता विरोधी माहौल को बता रही है तो भाजपा ने इसके लिए अव्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि, पार्टी नेताओं को सरकार के विकास कार्यों पर भरोसा है और आश्वस्त हैं कि परिणाम भाजपा के पक्ष में रहेंगे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने सभी 11 नगर निगमों के महापौर प्रत्याशियों से मतदान को लेकर जानकारी ली। उन्होंने कम मतदान के बन रही स्थिति पर चर्चा की। पार्टी के चुनाव कार्य के प्रभारी जेपी धनोपिया ने बताया कि कम मतदान से साफ है कि प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि कांग्रेस कम मतदान को लेकर यदि प्रसन्न् है तो 17 जुलाई बहुत दूर नहीं है। पहले चरण के नगरीय निकाय चुनाव के परिणाम 17 जुलाई को आएंगे। यदि कांग्रेस इतनी ही आश्वस्त है तो फिर इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन और अधिकारियों-कर्मचारियों की भूमिका पर प्रश्न क्यों उठाए जा रहे हैं। कम मतदान का कारण वर्षा और अव्यवस्था रही है। इसको लेकर पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह को ज्ञापन भी दिया है।
प्रत्याशियों से नाराजगी भी बड़ा कारण
कम मतदान का बड़ा कारण प्रत्याशियों से नाराजगी भी रही है। भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को लेकर कई जगह पर विरोध दर्ज कराया गया। कार्यकर्ता घर से नहीं निकले और उन्होंने मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित करने का काम भी नहीं किया।