रायपुर। राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) के मध्य संयुक्त शोध परियोजनाएं अब पांच वर्ष और जारी रहेंगी। इस संबंध में दोनों संस्थानों ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। नई परियोजनाओं में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) और नैनोटेक्नोलाजी पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। दोनों संस्थानों के मध्य पांच वर्ष पूर्व एमओयू किया गया था, जिसकी अवधि पूर्ण होने के बाद अब पुन: पांच वर्ष के लिए निदेशक प्रो. (डा.) नितिन एम नागरकर और एनआइटी केे निदेशक प्रो. एएम रावाणी ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर प्रो. नागरकर ने कहा कि दोनों संस्थान मिलकर चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में संयुक्त शोध परियोजनाओं पर काम करेंगे। एनआइटी एम्स को बायोमेडिकल इंजीनियरिंग, भीड़, प्रबंधन, वेस्ट मैनेजमेंट आदि क्षेत्रों में अपनी विशेषज्ञता का लाभ प्रदान कर सकता है। इसके साथ ही एआइ और नैनोटेक्नोलाजी के क्षेत्र में भी दोनों संस्थानों के मध्य सहयोग की काफी संभावनाएं हैं। एम्स के चिकित्सक अपनी जरूरतों को एनआइटी के विशेषज्ञों को बता सकते हैं, जिनका तकनीकी समाधान एनआइटी कर सकता है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए जल्द ही दोनों संस्थानों के शिक्षकों के मध्य वार्ता होगी और लगभग 20 चुनौतीपूर्ण विषयों को चिन्हित कर कार्य प्रारंभ किया जाएगा। प्रो. रावाणी ने तकनीक की कंवर्जेंस की चर्चा करते हुए कहा कि अब समाज के समक्ष उपस्थित चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करना होगा। इसके लिए संयुक्त रूप से अकादमिक कार्यक्रम और कान्फ्रेंस आयोजित की जा सकती हैं।
एआई और नैनोटेक्नोलाजी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एम्स और एनआइटी के बीच मध्य पांच वर्ष का और एमओयू
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