कुशल मुख्यमंत्री की कुशलता से इस तरह बही विकास की भी गंगा
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के कुशल नेतृत्व में केन्द्र और राज्य की डबल इंजन सरकार ने मध्यप्रदेश को अन्य राज्यों के लिये अनुकरणीय बना दिया है। विकास के नये आयाम स्थापित कर विकसित राज्य की पहचान बना ली है। मध्यप्रदेश की सुशासन और विकास रिपोर्ट-2022 के अनुसार राज्य में आए बदलाव से मध्यप्रदेश बीमारू से विकसित प्रदेशों की पंक्ति में उदाहरण बन कर खड़ा हुआ है। जन-भागीदारी से विकास के मॉडल ने अहम भूमिका निभाई है। सड़क, बिजली, पानी, कृषि, पर्यटन, जल-संवर्धन, सिंचाई, निवेश, स्व-रोजगार और अधो-संरचना विकास के साथ उन सभी पहलुओं पर सुविचारित एवं सर्वांगीण विकास की नवीन गाथा लिखी गई जो जन-कल्याण के साथ विकास के लिये
सबसे पहले बिजली की बात
एक समय था जब बिजली आती कम थी और जाती ज्यादा थी।आज प्रदेश बिजली क्षेत्र में आत्म-निर्भर है और 24 घंटे बिजली की उपलब्धता है। वर्ष 2003 में ऊर्जा क्षमता 5173 मेगावाट थी, जो बढ़ कर 28 हजार मेगावाट हो गई है।
प्रदेश कीअर्थ-व्यवस्था
- बेहतर वित्तीय प्रबंधन और चौतरफा विकास से आज प्रदेश की विकास दर लगभग 19.7 प्रतिशत।
- देश की अर्थ-व्यवस्था में मध्यप्रदेश का 4.6 प्रतिशत का योगदान ।
- सकल घरेलू उत्पाद में बीते दशक में 200 प्रतिशत की वृद्धि ।
- मध्यप्रदेश की आर्थिक वृद्धि दर निरंतर बढ़ रही है। वर्ष 2001-02 में 4.43 प्रतिशत की दर आज बढ़ कर 16.43 प्रतिशत।
- प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद 71 हजार 594 करोड़ रूपये से बढ़ कर 13 लाख 22 हजार 821 रूपये ।
- वर्ष 2001-02 में प्रति व्यक्ति आय 11 हजार 718 रूपये थी, जो वर्ष 2022-23 में बढ़ कर एक लाख 40 हजार 583 रूपये हो गई है।
- राज्य की जीएसडीपी की वृद्धि दर विगत एक दशक में राष्ट्रीय जीडीपी वृद्धि दर से अधिक रही है।
सबसे खास
अधो-संरचना के महत्व के मद्देनजर मध्यप्रदेश में निरंतर अधो-संरचना विकास अधो-संरचना बजट जो वर्ष 2002-03 में 3873 करोड़ रूपए था, वह वर्ष 2023-24 में बढ़ कर 56 हजार 256 करोड़ रुपए हो गया है।
DS