मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023
मध्यप्रदेश में चुनाव जैसे जैसे नजदीक आते जा रहे है वैसे वैसे दोनों पार्टियों की धड़कने भी तेज होती जा रही है। कांग्रेस पार्टी पूर्व CM कमलनाथ के नेतृत्व में बीजेपी से अपनी सरकार गिराने का बदला लेने के लिए अपने आप को तैयार कर रही है वही दूसरी और बीजेपी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नेतृत्व में किसी भी हालत में सत्ता खोना नहीं चाहती। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने मामा वाले अंदाज में घोषणाओं के बाण छोड़ने में कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे रहे है और सरकार का खजाना खाली करने में भी कोई कसर बाकी नहीं रख रहे है। शिवराज जिस तरह से वर्तमान में लाड़ली बहना योजना को प्रमोट कर रहे है उससे तो यही लग रहा है कि प्रदेश में लाड़ली बहना योजना के अलावा अब कुछ बचा ही नहीं है। लाड़ली बहना योजना के कुछ होर्डिंग में तो यह भी बताया जा रहा है कि लाड़ली बहना योजना से मिले रुपए से बहना ने दवाई खरीदी। मतलब पिछले 15 साल के शिवराज में बहने अब दवाई खरीदने लायक बन पाई।
कांग्रेस पार्टी शिवराज सिंह चौहान को मात देने के लिए असंतुष्ट बीजेपी नेताओं को लुभा रही है मध्यप्रदेश में कांग्रेस बीजेपी के उन नेताओं से संपर्क में है जो अपनी पार्टी में उपेक्षित हैं सिंधिया की ताकत को कमजोर कर सकते है। मार्च 2020 में सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस के वफादार विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे, जिसके कारण कांग्रेस को न केवल मध्यप्रदेश की सत्ता खोनी पड़ी थी, बल्कि इन निर्वाचन क्षेत्रों में उनका संगठनात्मक बुनियादी ढांचा भी कमजोर हो गया था।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अपने को और अधिक मजबूत बनाने के लिए बीजेपी के उन नेताओं तक पहुंच रही है जो सत्ताधारी पार्टी द्वारा दरकिनार या नजरअंदाज महसूस कर रहे हैं। ये बातें भी कांग्रेस का मनोबल बढ़ा रही है कि पिछले तीन महीनों में पूर्व मंत्री दीपक जोशी और अन्य कुछ पदाधिकारियों सहित दो दर्जन से अधिक बीजेपी नेता कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं।
कांग्रेस का सोचना है कि दलबदलुओं हम उन्हें मजा चखाना चाहते हैं. मध्य प्रदेश के लोगों में जबरदस्त असंतोष है और जनता उन्हें सबक सिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
वर्तमान परिदृश्य को देखा जाये तो एम् पी में अमित शाह और दो अन्य केंद्रीय नेताओं को आगे आकर रणनीति बनानी पड़ रही है। इससे तो यही लग रहा है स्थानीय बीजेपी नेता आगामी चुनावों के लिए रणनीति बनाने में सक्षम नहीं हैं या वे एक साथ काम नहीं करना चाहते हैं। इन सब से कांग्रेस अपना बढ़ाकर यही सोच रही है कि बीजेपी में तालमेल की कमी है। प्रधानमंत्री मोदी के लगातार हो रहे दौरे से यही लग रहा है कि स्थानीय बीजेपी नेता कमजोर पड़ रहे है।
वर्तमान परिदृश्यों और शिवराज की हो रही ताबड़तोड़ घोषणाओं से बीजेपी को यही लग रहा कि चुनाव हम ही जीतेंगे और दूसरी तरफ कांग्रेस को पूरा विश्वास है कि मध्यप्रदेश में इस बार सत्ता परिवर्तन की लहर साफ साफ दिख रही है।
“वक्त तो पल पल बदलता है लेकिन यह बदलता पल भी अच्छे अच्छे को बदल देता है। आगे आगे होता है क्या ये तो वक्त ही बताएगा” DMP NEWS