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शराब नीति पर मध्‍य प्रदेश सरकार और ठेकेदारों में ठनी, आरोप-ठेके लेने के लिए बनाया जा रहा दबाव

भोपाल( । मध्य प्रदेश की नई शराब नीति से ठेकेदार नाखुश हैं और खुलकर सामने आ गए हैं। उन्होंने गुरुवार रात से इंदौर, भोपाल और जबलपुर में चल रही कार्रवाई के खिलाफ सरकार की नीयत पर सवाल उठाए हैं। मप्र आबकारी संघ के अध्यक्ष ऋ षिकांत शर्मा एवं अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि नीति की वजह से सरकार को नए ठेकेदार नहीं मिल रहे हैं। इसलिए दुकानें बंद कर हम पर ठेके लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि स्थानीय आबकारी अमले ने नियमित निरीक्षण करते हुए तीनों शहरों में कई शराब दुकानें सील कर दी हैं।

राजधानी में प्रेसवार्ता कर संघ पदाधिकारियों ने कहा कि ये कार्रवाई क्यों की जा रही है, इसका जवाब जिम्मेदार अधिकारियों के पास भी नहीं है। उन्होंने कहा दुकान की सही कीमत ही दे सकते हैं। उसके लिए दुकानें सील कर दबाव बनाना सरकार की ओछी हरकत है। उन्होंने साफ कहा कि प्रदेश में काम नहीं करेंगे, क्योंकि सरकार का संरक्षण नहीं मिल रहा है।

संघ के अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि ड्यूटी 33 प्रतिशत तक बढ़ा दी और मुनाफा 17 प्रतिशत कर दिया। इससे ठेकेदारों को नुकसान होगा। उन्होंने बताया कि सरकार की दुकानें बंद करने की कार्रवाई से एक दिन में पांच करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है।

इससे पहले ठेकेदारों ने आबकारी मंत्री के बंगले पर भी पहुंचे और दुकानें खोलने का निवेदन किया। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में एक अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक के लिए शराब दुकानें नीलाम की जा रही हैं। टेंडर की प्रक्रिया 11 फरवरी से शुरू हो गई है। ठेकेदारों का कहना है कि विभाग ने इस बार आरक्षित मूल्य 25 प्रतिशत बढ़ा दिया है। इसलिए दुकानें लेने में ठेकेदार रुचि नहीं ले रहे हैं।

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