विश्व बैंक ने अपने ताजा अनुमान में साल 2022-23 के लिए भारत की आर्थिक विकास दर को घटा दिया है। विश्व बैंक के मुताबिक इस दौरान देश की आर्थिक विकास दर 7.5 प्रतिशत रह सकती है। वहीं, इससे पहले विश्व बैंक ने भारत की आर्थिक वृद्धि की दर को 8.7 प्रतिशत तक होने का अनुमान लगाया था। वैसे, विश्व बैंक के मुताबिक भारत ही नहीं पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था खतरे में है। 7 जून को जारी नवीनतम वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट में, विश्व बैंक ने बढ़ती मुद्रास्फीति, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और वैश्विक तनाव के कारण आर्थिक विकास में कमी की भविष्यवाणी की है।
क्या है विश्व बैंक का अनुमान?
आनेवाले वर्षों के लिए भी विश्व बैंक का अनुमान है कि साल 2023-24 में भारत की आर्थिक विकास दर 7.1 प्रतिशत और 2024-25 में 6.5 प्रतिशत रह सकती है। यानी आनेवाले वर्षों में देश की विकास दर कम होती जाएगी। हालांकि, चालू वित्त वर्ष के लिए विश्व बैंक का अनुमान रिजर्व के अनुमानों के आसपास ही है। विश्व बैंक के 7.5 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर के अनुमान की तुलना में RBI ने इससे भी कम 7.2 प्रतिशत जीडीपी का अनुमान लगाया है।
इससे पहले मूडीज ने 2022-23 में भारत के आर्थिक विकास के अनुमान को भी घटा दिया था। रेटिंग एजेंसी ने मुद्रास्फीति में वृद्धि के कारण 2022-23 में भारत की जीडीपी विकास दर को 9.1 प्रतिशत से घटाकर 8.8 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया है। वहीं इस रेटिंग एजेंसी के मुताबिक अगले साल जीडीपी 5.4 फीसदी तक गिर सकती है। मूडीज के मुताबिक कच्चे तेल, खाद्य और उर्वरक की कीमतों में वृद्धि के कारण भारतीयों की वित्तीय स्थिति उनकी खर्च करने की क्षमता से प्रभावित होगी।
क्यों गिरेगी आर्थिक विकास की दर?
मॉर्गन स्टेनली, एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स और मूडीज ने अगले दो वर्षों के लिए जीडीपी विकास दर के अनुमान में कटौती की थी, जो इस तथ्य की ओर इशारा करता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल सहित कमोडिटी और खाद्य तेल की कीमतों में किस हद तक गिरावट आई है। भारत में खुदरा महंगाई दर अप्रैल 2022 में 8 साल के उच्च स्तर 7.79 फीसदी पर पहुंच गई है, जबकि थोक महंगाई दर, नौ साल के उच्च स्तर 15.08 फीसदी पर पहुंच गई है। अगर इसी तरह महंगाई बढ़ती रही, तो इसका असर सभी क्षेत्रों पर पड़ेगा।