राहुल गांधी द्वारा सचिन पायलट के धैर्य की तारीफ करने के बाद राजस्थान में एक गुप्त सर्वे से अटकलों को बाजार गर्म हो गया है। गहलोत की विदाई होगी या फिर पायलट का रास्ता साफ?। पायलट समर्थक उन्हें अगले सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट करने में जुटे हैं। वहीं गहलोत समर्थक अपने नेता के समर्थन में राग आलाप रहें है। दोनों ही नेताओं के समर्थकों के अपने-अपने तर्क है। गहलोत समर्थकों का कहना है कि राहुला गांधी गहलोत के कामकाज से खुश है। समर्थकों का तर्क है गहलोत के नेतृत्व में पंचायत चुनाव, विधानसभा उप चुनाव और राज्यसभा की तीनों सीटें कांग्रेस ने जीती है। भाजपा सत्ता विरोधी लहर पैदा नहीं कर पाई है। जबकि पायलट समर्थकों का कहना है कि राज्य में हर बार सरकार बदलने के ट्रेंड रहा है। इसलिए कांग्रेस सरकार रिपीट के लिए राजस्थान कांग्रेस की कमान सचिन पायलट को मिले। पायलट समर्थकों का तर्क है कि विधानसभा चुनाव 2018 में पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस को जीत मिली। पायलट समर्थक एक विधायक ने दावा है कि राहुल गांधी का गुप्त सर्वें पायलट के पक्ष में है। पायलट एक बार प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने जा रहे हैं। राहुल गांधी की टीम ने हाल ही में प्रदेश में गुप्त सर्वे किया है। सर्वे में पता लगाया गया है कि गहलोत-पायलट में से कांग्रेस की सरकार रिपीट कौन कर सकता है। सर्वें से राजस्थान में तेजी से सियासी समीकरण बदल रहे हैं।
क्या गहलोत अगली बार सीएम फेस नहीं?
अशोक गहलोत ने करीब दो महीने पहले एक कार्यक्रम में कहा था कि मेरा इस्तीफा परमानेंट सोनिया गांधी के पास है। पहली बार सीएम बना तभी से मेरा इस्तीफा सोनिया गांधी के पास पड़ा है। सीएम गहलोत के इस बयान प्रदेश की सियासत में कयासबाजी का दौर शुरू हो गया था। बतौर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यह तीसरा टर्म है। वह पहली बार 1998 में मुख्यमंत्री बने थे। दूसरी बार 2008 में उन्होंने मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण किया था। फिर 2018 में जीत के बाद बतौर मुख्यमंत्री गहलोत का यह तीसरा मुख्यमंत्री कार्यकाल है। गहलोत ने अपने बयान में कहा है कि उन्हें तीन बार केंद्रीय मंत्री, तीन बार पीसीसी अध्यक्ष और तीन बार मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला है। अगर यहां के गहलोत के तीन के आंकड़ों वाली बात लागू करें तो वह खुद मानते हैं कि चौथी बार वह मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदार नहीं होंगे। उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी की टीम ने राज्य की सभी 200 विधासनभा सीटों का गुप्त सर्वें किया है। सर्वे में यह भी पता लगाया गया है कि सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट में सबसे लोकप्रिय कौन है।
सचिन पायलट का रास्ता साफ?
दूसरी तरफ वर्ष 2020 में गहलोत के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने वाले सचिन पायलट पूरी तरह से शांत नहीं बैठे हैं। हाल ही में मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान उन्होंने अपने गुट के लोगों को मंत्रीपद दिलाया। वहीं सचिन पायलट खुद लगातार क्षेत्र में जनसंपर्क की मुहिम में लगे हुए हैं। अपने क्षेत्र के साथ-साथ वह विभिन्न आयोजनों और कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं। पिछले दिनों उन्हें संगठन की जिम्मेदारी देकर उन्हें राजस्थान से हटाने की चर्चा भी थी। लेकिन बाद में पायलट ने खुद बयान जारी कर कहा था कि अगले 50 साल तक वह कहीं नहीं जाने वाले। बाद में एक चैरिटी कार्यक्रम में उन्होंने जीना यहां, मरना यहां गीत गाया था, जिससे संकेत मिले थे कि वह राजस्थान की राजनीति से दूर नहीं होने वाले। राहुल गांधी ने सचिन पायलट के धैर्य की तारीफ की है उसके बाद से ही प्रदेश की सियासत में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है।
राहुल गांधी के सर्वें से राजस्थान के बदल सकते है समीकरण
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